दही इंसानों के लिए प्रकृति का दिया खूबसूरत तोहफा है। यह सेहत के लिए खजानो से भरा हुआ है। इसमें एक साथ फाइबर, प्रोटीन, शुगर और फैट सबकुछ मिल जाता है। इसके अलावा ढेर सारे विटामिन्स और मिनरल्स भी मिलते हैं।
दही न सिर्फ हमारे खाने का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि यह सेहत के लिए भी बेदह फायदेमंद होता है। यह हमारे पाचन तंत्र, इम्यून सिस्टम, वेट मैनेजमेंट और हड्डियों की मजबूती के लिए बहुत जरूरी है। इसके अलावा ये हमारी हार्ट हेल्थ भी अच्छी रखता है। ऐसे लाखो गुण है दही के अंदर जो आपको पता भी नहीं होंगे।
- दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स पाचन क्रिया को बेहतर कर देते हैं कब्ज़, गैस पेट से जुडी समस्याओं से राहत दिलाते हैं
- दही में मौजूद विटामिन सी इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है
- दही में कैल्शियम, फ़ॉस्फ़ोरस, और प्रोटीन होता है, जो हड्डियों को मज़बूत बनाता है
- दही में मौजूद गुड फैट्स दिल की सेहत के लिए भी बहुत अच्छा होता हैं
- दही में मौजूद पोटैशियम और मैग्नीशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं
- दही में मौजूद विटामिन और मिनरल एनर्जी बूस्टर के रूप में काम करते हैं
- दही में मौजूद एंटीमाइक्रोबियल प्रॉपर्टीज़ और लैक्टिक एसिड डैंड्रफ़ हटाने में मदद करते हैं
- दही और मेंहदी का पेस्ट लगाने से रूसी की समस्या दूर होती है और बालो में चमक आती है और बाल भी मजबूत बनते है हफ्ते में २ बार खाली दही सर में लगाकर छोड़ दो और आधे या 1 घंटे बाद बाल धो लो बालो में एक अलग ही ताजगी महसूस होगी
- दही में मौजूद पोषक तत्वों से चिंता, तनाव, और डिप्रेशन को कम करने में मदद मिलती है
दही खाने से कौन सी बीमारी दूर होती है?
प्रोबायोटिक्स हमारी आंतों में कई सारे जिंदे बैक्टीरिया होते हैं, जो खाना पचाने से लेकर पोषण निकालने में मदद करते हैं। इनकी संख्या बनाए रखने में दही मदद करती है। इसे खाकर कब्ज, ब्लोटिंग, गैस, पेट की गर्मी आदि से दूर रहा जा सकता है।
दही को कब नहीं खाना चाहिए?
आयुर्वेद के मुताबिक रात को शरीर का तापमान कम होने लगता है और हमारे शरीर में कफ दोष बढ़ने लगता है। दही हमारे शरीर में कफ दोष को बढ़ा देता है। ऐसे में रात के समय दही खाने से बलगम, खांसी, जोड़ों में दर्द और पाचन तंत्र कमजोर हो सकता है। इसलिए सूर्यास्त के बाद दही नहीं खाना चाहिए।
1 दिन में दही कितना खाना चाहिए?
एक दिन में 2 कप छोटे कप ही दही खाएं। दही की एक सर्विंग आपको भरपूर मात्रा में फॉस्फोरस, पोटैशियम, आयोडीन, राइबोफ्लेविन, विटामिन बी5 और जिंक प्रदान करती है। हर चीज की एक लिमिट है अच्छी चीज खाने की भी लिमिट होती है ज्यादा भी दही नहीं खानी चाहिए इससे आपको सर्दी भी लग सकती है क्यंकि दही की तासीर ठंडी होती है और डॉक्टर भी बुखार ज़ुखाम में दही न खाने की सलाह देते है।
दही किसे नहीं खाना चाहिए?
हालांकि, अगर आप लैक्टोज चिड़चिड़ापन रहता हैं या डेयरी उत्पादों से एलर्जी है तो आपको दही से बचना चाहिए। जिन लोगों को किडनी की समस्या है या कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक है, उन्हें दही का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप अनुशंसित मात्रा से अधिक इसका सेवन न करें।
दही को पचने में कितना समय लगता है?
दूध-दही, मक्खन, चीज-पनीर, क्रीम और कस्टर्ड जैसी चीजों को पचने में लगभग 90 मिनट का समय लगता है। दूध से बनने वाले सभी सभी चीजों को पचने में बहुत समय लगता है, जिसकी वजह से पेट लंबे समय तक भरा रहता है।
खाली पेट दही और गुड़ का सेवन गट बैक्टीरिया को बढ़ावा देने के साथ शरीर के लिए कई प्रकार से काम करता है। इतना ही नहीं ये बॉडी के मेटाबोलिक रेट को बढ़ा देता है जिससे खाना तेजी से पचता है, वेट बैलेंस करने में मदद मिलती है और फिर जो लोग वेट लॉस कर रहे होते हैं उनके लिए भी ये फायदेमंद है।