देवीलाल ने गंगाजल में नमक डालकर राव-बीरेंद्र से की थी दोस्ती | अंग्रेजों की फौज में कैप्टन रहे; रातों-रात 12 विधायक तोड़कर CM तक बन गए ये कहानी हमारी ज़ुबानी - SARKARI NEWS

You can see any News, Any Schemes on our site in our world.

Breaking

देवीलाल ने गंगाजल में नमक डालकर राव-बीरेंद्र से की थी दोस्ती | अंग्रेजों की फौज में कैप्टन रहे; रातों-रात 12 विधायक तोड़कर CM तक बन गए ये कहानी हमारी ज़ुबानी


साल, 1971 में कांग्रेस के बागी और अहीरवाल वंश से आने वाले हरियाणा के पिछले मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह महेंद्रगढ़ से चुनाव लड़ रहे थे। लेकिन कांग्रेस ने महेंद्रगढ़ से राव निहाल सिंह को टिकट दिया था। शुरुआत के दिनों में राव बीरेंद्र सिंह के लिए यह चुनाव बेहद आसान दिख रहा था, लेकिन बाद में कुछ ऐसा हुआ लेकिन बाद में कुछ ऐसा हुआ।

दरअसल, इंदिरा गांधी निहाल सिंह के प्रचार के लिए रेवाड़ी पहुंच गईं। इंदिरा को देखने के लिए हुजूम उमड़ पड़ा। लोग सड़कों के किनारे आकर खड़े हो गए। राव बीरेंद्र सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर थी।




वेद प्रकाश विद्रोही हरियाणा कांग्रेस के सीनियर लीडर थे उन्होंने अपनी मीडिया से बातचीत में कुछ रोंचक बातें बताई है। 'उस समय मैं रेवाड़ी स्कूल में पढ़ने जाता था। छुट्टी के बाद जब स्कूल से वापस घर जा रहा था तो मैंने देखा कि राव बीरेंद्र सिंह पैदल चलकर लोगों से वोट मांग रहे थे। शायद यह पहला मौका था, जब राव साहब ने पैदल चलकर वोट मांगे। वोटों की गिनती हुई, तो राव बीरेंद्र सिंह को 1899 वोट ज्यादा मिले। कांटे की टक्कर में वे अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे।


राव बीरेंद्र ने भगवत दयाल को दी चुनौती- 'भगवत दयाल आपकी सरकार 13 दिन तक भी नहीं चल पायेगी '


फरवरी 1967, हरियाणा बनने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हुए। कांग्रेस को 81 विधानसभा सीटों में से 48 पर जीत मिली। अब बारी थी मुख्यमंत्री चुनने की।


चुनाव का पहला चेहरा मुख्यमंत्री भगवत दयाल शर्मा थे। नतीजों के बाद शर्मा फिर से सीएम बनने के लिए पूरी जोर-आजमाइश कर रहे थे। वे एक-एक करके अपने विरोधियों को ठिकाने लगा रहे थे। और नयी नयी रणनीति बना रहे थे।


देवीलाल एवं शेर सिंह जैसे दिग्गजों को तो उन्होंने विधानसभा चुनाव ही नहीं लड़ने दिया। जबकि, भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता रणबीर सिंह के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार उतारक उन्हें भी रास्ते से हटा दिया। उन्होंने अपनी पूरी एड़ी छोटी का ज़ोर लगाया था और वो अपने मकसद में भी कमियाब हुए।



इंदिरा गांधी के इशारे पर चौधरी देवीलाल, भगवत दयाल की सरकार को गिराने में जुट चुके थे, लेकिन इसके लिए जरूरी था कि राव बीरेंद्र सिंह के साथ उनके सियासी मतभेद दूर हों और वही हुआ भी।


हरियाणा बनने से पहले देवीलाल और राव के बीच दोस्ती बहुत गहरी थी, लेकिन बाद भी छोटी मोती बातो से दोनों के संबंध बिगड़ गए। दोबारा संबंध ठीक करने के लिए देवीलाल ने दिल्ली के एक बिल्डर की मदद ली।